क्या होता है कुंडली में पितृदोष ?
कुंडली में पितृ दोष: पितृ दोष पूर्वजों से कोई श्राप होने की स्तिथि नहीं होती है बल्कि पितृ दोष आमतौर पर पूर्वजों का कर्म ऋण होता है।
यह कुंडली में एक विपरीत ग्रह क्रम के रूप में देखा जा सकता है।
और इस ऋण का भुगतान उस जातक द्वारा किया जाना होता है जिसकी कुंडली में यह दोष होता है।
यदि इसे सीधे शब्दों में कहें, तो पितृ दोष किसी जातक की कुंडली में तब बनता है।
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जब जातक के पूर्वजों ने कुछ अपराध या गलती की हो और इसके बदले में जातक को अलग-अलग प्रायश्चित करके अपने पूर्वजों के पिछले जन्म के दुष्कर्मों का ऋण उतारना होता है।
किसी भी जातक की कुंडली में पितृदोष की उपस्थिति से जातक के जीवन में कुछ अपरिहार्य और अप्रत्याशित कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
यह जातक के जीवन में गंभीर उतार-चढ़ाव लाता है।
इसके अलावा, जातक को मानसिक परेशानियों व आर्थिक संकटों का सामना भी करना पड़ता है।
कुंडली में पितृ दोष की निशुल्क जाँच कैसे करें
सूर्य की उपस्तिथि, उतरता हुआ चंद्रमा, मंगल, रघु, बुध और केतु
- 5 वें घर में हो तो पितृदोष होता है।
- इसके अलावा, नवमांश कुंडली में 5 वें घर का स्वामी कम प्रभावशाली है।
- 5 वें घर के स्वामी को या तो अशुभ ग्रहों के साथ होता है या एक अशुभ गृह में स्थित होता है।
- कुंडली के ग्रह में 5 वें घर के स्वामी का भटकना या जन्म नक्षत्र से 22 वें गृह या 88 मंडल में भटकना।
- 5 वें घर के स्वामी दुर्बल हो जाता है ।
- 5 वें घर में कमजोर ग्रहों का वास होता है ।
- इसके अलावा, 5 वें घर के स्वामी पर तिथिशून्यं का प्रभाव हो रहा है।
- किसी भी घर में रघु या केतु के साथ 5 वें घर के स्वामी का होना ।
पितृ दोष पूजा त्रयंबकेश्वर में कैसे करें? पितृ दोष पूजा कहाँ करें?
नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पितृ दोष की पूजा करना सर्वोत्तम माना गया है।
सभी अनुष्ठानों के बाद एक विद्वान पुजारी द्वारा यह पूजा बद्रीनाथ, त्र्यंबकेश्वर, रामेश्वरम, हरिद्वार या गया में भी कर सकते हैं।
इसके अलावा, लोग इस पूजा को कासगंज (यू.पी.), भीमाशंकर मंदिर (महाराष्ट्र), कैथल (हरियाणा), रतनपुर (छत्तीसगढ़) के महामायामंदिर में भी कर सकते हैं।
पितृ दोष पूजा कैसे करें?
पूजा की अवधि: 3 घंटे।
पूजा करने के लिए जातक पूजा वाले दिन से ठीक एक शाम पहले नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर पहुँच सकते हैं। जातक पूजा वाली सुबह भी मंदिर पहुंचने का निर्णय ले सकते हैं।
- त्रिपिंडी श्राद्ध : पूजा हेतु त्रिपिंड श्राद्ध करें। लोग कुंड के पास भी त्रिपिंडश्राद्ध करते हैं।
- त्रिमूर्ति पूजा : लोग इस पूजा के दौरान त्रिमूर्ति देवताओं की भी स्तुति करते हैं।
कलश की पूजा करने के बाद ब्रह्मा, विष्णु, शंकरऔर गोपाल कृष्ण की पूजा करते है | - तीर्थश्राद्ध : लोग पंडित जी के घर पर तीर्थश्राद्ध करते है |
यह केवल उनके लिए है जो केवल श्राद्ध कर रहे हों। - पूर्वजों को पिंडदान : लोग अपने सभी मृत पूर्वजों के नाम पर पिंडदान करते हैं ।
दादा-परदादाओं से लेकर चाचा, चाची, भाई, बहन, माता और पिता और परिवार का कोई भी व्यक्ति के लिए जो की अपना पार्थिव शारीर छोड़ चुके है , इन सभी की आत्मा की शान्ति हेतु पिंड दान किया जाया है ।
इस पूर्वजों में जातक के मृत पंडित जी भी शामिल होते है। - काला तिल : लोग काला तिल, जल, पुष्प और तुलसी पत्तियां चढ़ाते हुए इन पिंडों को पूजा करते हैं।
यह विधान लगभग डेढ़ से दो घंटे का होता है। - दान : आप पूर्वजों की तरफ से खाद्य पदार्थ व कपड़े भी दान कर सकते हैं।
नासिक त्र्यंबकेश्वर में पितृ दोष पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ पंडित
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पंडितजी त्र्यंबकेश्वर में पूजा करते हैं। इसके अलावा, वह सभी विद्याओं और पूजाओं में कुशल है।
वे ये पूजा कई वर्षों से सफलता पूर्वक करवा रहे है ।
भारत के भिन्न भिन्न हिस्सों से और दुनिया भर के लोग भी सभी प्रकार की पूजा और विधानों को करने हेतु उनके पास आते रहे हैं।
इसके अलावा, गुरूजी कालसर्प दोष पूजा करने के लिए भी बहुत प्रसिद्ध हैं।
पितृ दोष तिथियां और मुहूर्त 2026
| जनवरी 2026 | 1, 3, 4, 5, 7, 10, 11, 12, 14, 17, 18 (अमावस्या) 19, 21, 24, 25, 26, 28 और 31. है |
| फरवरी 2026 | 1, 2, 4, 7, 8, 9, 11, 14, 15, 16, (महाशिवरात्रि) 17, 21, 22, 23, 25, 28. है |
| मार्च 2026 | 1, 2, 4, 7, 8, 9, 11, 12, 14, 15, 16, 19 (अमावस्या) 21, 22, 23, 25, 28, 29, 30.है |
| अप्रैल 2026 | 1, 2, 4, 5, 6, 8, 11, 12, 13, 15, 17 (अमावस्या) 18, 19, 20, 22, 25, 26, 27, 30. है |
| मई 2026 | 2, 3, 4, 6, 9, 10, 11, 13, 16 (अमावस्या) 17, 18, 20, 23, 24, 25, 27, 30 और 31. है |
| जून 2026 | 1, 3, 6, 7, 8, 10, 12 (नाग पंचमी) 13, 14, 15, 17, 20, 21, 22, 24, 27, 28 और 29. है |
| जुलाई 2026 | 1, 2, 4, 5, 6, 8, 11, 12, 13, 14, 16, 18, 19, 20, 22, 25, 26, 27 और 29. विशेष दिन श्रावण सोमवार (13, 20, 27 जुलाई) है |
| अगस्त 2026 | 1, 2, 3, 5, 8, 9, 10, 12, 14 (अमावस्या) 15, 16, 17, 19, 22, 23, 24, 26, 28, 29, 30 और 31. है |
| सितम्बर 2026 | 2, 3, 5, 6, 7, 9, 11, 12, 13, 14, 16, 19, 20, 21, 23, 26, 27, 28, 30. (परिवार में शांति और क्षमा लाने के लिए विशेष दिन पितृ पक्ष अमावस्या।) है |
| अक्टूबर 2026 | 1, 3, 4, 5, 7, 10, 11, 12 (अमावस्या) 14, 17, 18, 19, 21, 24, 25, 26, 28 और 31. है |
| नवंबर 2026 | 1, 2, 4, 7, 8, 9, 11 (अमावस्या) 14, 15, 16, 18, 21, 22, 23, 25, 28, 29 और 30. है |
| दिसंबर 2026 | 2, 3, 5, 6, 7, 8, 10 (मार्गशीर्ष अमावस्या), 12, 13, 14, 16, 19, 20, 21, 23, 26, 27, 28 और 31. है |



